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naukaritak.com में आपका स्वागत है। दोस्तों यदि आप ऐसी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं जिसके Syllabus में सामान्य हिन्दी (General Hindi) के प्रश्न को पूछा जाता जाता है या जायेगा तो ऐसे में बहुत जरुरी हो जाता है की Samany Hindi के सभी Topics को बेहतर तरीके से तैयार करें। क्योंकि प्रत्येक Competitive Exams में अंतिम रूप से सफल होने के लिए दशमलव में प्राप्त अंक भी बहुत मायने रखता है। कम समय में प्रत्येक टॉपिक्स को अच्छे से तैयार कर पाएं बेहतरीन अध्ययन सामग्री से इसके लिए आज मै आपके लिए लेकर आया हुं मेरे द्वारा तैयार Samas Notes (समास नोट्स) हमारी भाषा हिंदी में। साथ ही आप समास नोट्स को पढ़ने के बाद उसका PDF भी Download कर सकते हैं।
Samas Notes |
इस Post में हम अव्ययीभाव और तत्पुरुष समास के छः भेद के बारे में पढ़ेंगे।
समास (Compound)
समास की परिभाषा – दो अथवा दो से अधिक शब्दों से मिलकर बनने वाले नए अर्थपूर्ण शब्द को ही समास कहते हैं।
जैसे – कार्य + कुशल = कार्यकुशल (जिसका अर्थ है कार्य में कुशल)
समास शब्द सम और और अस से मिलकर बना है। जिसमे सम का अर्थ भली प्रकार और अस का अर्थ फेंकना है। अर्थात जब दो या दो से अधिक शब्दों से मिलकर बने हुए शब्द को जब अलग-अलग लिखते हैं,तो उसका वही अर्थ होता है,जो संक्षेप में लिखने पर था।
जैसे – संक्षेप में राजपुत्र और अलग-अलग राजा का पुत्र इसमें दोनों शब्दों का अर्थ सामान है।
इस प्रकार से समास का शाब्दिक अर्थ संक्षेप होता है।
सामासिक या समस्त पद – समास के नियमो से जो नया शब्द बनता है उसे ही सामासिक या समस्त पद कहते हैं।
समास विग्रह – समस्त पद को अलग-अलग करने की प्रक्रिया ही समास विग्रह कहलाती है।
जैसे – राजपुत्र (समस्त पद) का विग्रह – राजा का पुत्र
समास की रचना – यह दो पदों (पूर्वपद और उत्तर पद) से मिलकर बनता है।
जैसे – राजपुत्र में पूर्वपद राज और उत्तर पद पुत्र है।
समास विभक्तियाँ – जब समस्त पद के पूर्वपद और उत्तर पद को अलग-अलग करते हैं,तो पूर्वपद और उत्तर पद के बीच में जो शब्द आता है उसे ही विभक्तियाँ कहते है।
जैसे – राजपुत्र का विग्रह = राजा का पुत्र यहाँ पर पूर्वपद राजा और उत्तरपद के बीच का शब्द का हैा अतः इसमें का ही विभक्ति है और इस विभक्ति के माध्यम से ही समास के प्रकार को पहचाना जाना जाता है।
समास के प्रकार – समास छः प्रकार का होता है:
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अव्ययीभाव समास
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तत्पुरुष समास
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द्वन्द समास
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बहुव्रीहि समास
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कर्मधारय समास
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द्विगु समास
(1) अव्ययीभाव समास – इस समास का पहला पद अर्थात पूर्वपद प्रधान होता है।
इसकी पहचान – शब्द का पूर्वपद अनु,आ, प्रति, हर, भर, यथा और आवत आदि होता है।
(2) तत्पुरुष समास
इस समास का बाद का अर्थात उत्तरपद प्रधान होता है। इस समास के छः भेद होते हैं:
नोट – तत्पुरुष समास के छः भेद को कारक की विभक्ति ( पूर्वपद और उत्तरपद के बीच का मुख्य शब्द) के आधार पर पहचाना जा सकता है।
(a) कर्म तत्पुरुष समास – इसको कारक की विभक्ति को द्वारा पहचाना जा सकता है।
(b) करण तत्पुरुष समास – इसको कारक की विभक्ति से या के द्वारा पहचाना जा सकता है।
(c) सम्प्रदान तत्पुरुष समास – इसको कारक की विभक्ति के लिए के जरिये पहचाना जा सकता है।
(d) अपादान तत्पुरुष समास – इसको कारक की विभक्ति से (किसी चीज से अलग का भाव ) के जरिए पहचाना जा सकता है।
(e) सम्बन्ध तत्पुरुष समास – इसको कारक की विभक्ति का , की , के द्वारा पहचाना जा सकता है।
(f) अधिकरण तत्पुरुष समास – इसको कारक की विभक्ति में , पर द्वारा पहचाना जा सकता है।
कल
कर्मधारय समास
द्विगु समास
द्वन्द समास
बहुव्रीहि समास
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